ई भांत सबरे यहूदिया, और गलील और सामरिया में मण्डली हां चैन मिलो, और ऊ की बढ़त होत रई; और बो पिरभु के डर और पवित्तर आत्मा की शान्ति में और आंगू बढ़त जात हती।
बिसवास धर के नूह ने जौन बात ऊ बेरा न दिखात हती, जब कहो गओ तो साजे मन से अपने घर के लोगन हां बचाबे हां एक बड़ी नाव बनाई, और संसार के दूसरे जनों पै न्याय आ गओ और बे डूब मरे; और नूह हां अपने बिसवास से आसीस मिली।
हे पिरभू, को तुम से न डरा है? और तुमाए नाओं को गुनगान न कर है? कायसे तुमईं पवित्तर आव, और सबरी जातन के मान्स आके तुम हां दण्डवत कर हैं, कायसे जो न्याय तुम ने करे आंय बे भले और अच्छे आंय।