परन्त ऊने मना करत भए अपने मालक की बईयर सें कई, “सुन, जो कछु ई घर में आय ऊ मोरे हाथ में आय; ऊहों मोरो मालक कछु नईं जानत, और ऊने अपनो सब कछु मोरे हाथ में सौंप दओ आय।
ऐई जन हां और आगमवक्तन की बातन हां, जिनहां हरएक सब्त के दिना पढ़ो जात हतो न समझत हो, यरूशलेम के रहबेवालन और उन के हाकिमन ने ऊहां दोसी ठहराके इन बातन हां पूरो करो।
ई बात की गवाही महापुरोहित और सियानन की बैठक दे सकत आय; मैंने भाईयन के नाओं पाती लई और ई मतलब से दमिश्क हां चलो, कि उते के लोगन हां बन्दी बना के दण्ड दिलाबे यरूशलेम लै जाओं।
उन ने ऊसे कई; न तो हम हां यहूदियन से तोरे बारे में कोऊ चिठिया मिली आय, और न भाईयन में से कोऊ ने इते आके तोरे बारे में कोऊ खबर दई आय, और न कोऊ बुरई बात कई आय।
परमेसुर ने अपनी ऊ प्रजा हां नईं छोड़ो, जिन हां ऊ ने पेंला से नबेरो हतो: का तुम नईं जानत, कि पवित्तर पोथी में एलियाह अगमवकता के लाने का कओ गओ आय; कि बो इस्राएल के विरोद में परमेसुर से बिन्तवाई करत आय।