3 जब पौलुस ने लकड़ियों कौ गट्ठा जमा करके आगी पे धरो, तो आंच पाके एक सांप कड़ो और ऊके हाथ से लिपड़ गओ।
हे सांप के बच्चो, तुम दुष्ट होत भए भी भली बातें कैसे कह सकत आव? कायसे, जौन मन में भरो आय, ओई मों पे आत है।
हे सांपो, और करैत के सपोलो, तुम नरक के दण्ड से कैसे बच पा हौ?
जब ऊने बिलात फरीसियन और सदूकियन हां बपतिस्मा लेबे आत तको, तो उन से कई, हे सांप की लड़ेर, तुम हां कीने चिता दओ, कि आबेवारे कोप से भगो?
नई नई भाषा बोल हैं, सांपन हां उठा लै हैं, और अगर बे जहरीली चीज पी जाएं तौभी उनकी कछु हानि न हुईये, बे बीमारन पै हाथ धर हैं, और बे ठीक हो जै हैं।
उतईं के आदिवासियन ने हम पे बड़ी दया करी; बरसा होबे से जाड़ो पड़न लगो हतो, ई लाने उन ने आगी बार के हम सब कौ सत्कार करो।
जब आदिवासियन ने सांप हां ऊके हाथ में लटके भओ तको, तो एक दूसरे से कैन लगे; सही में जौ मान्स हत्यारो आय, जौ समुन्दर से बच गओ, फिन भी न्याव ने ईहां जीयत रहन नईं दओ।
(मैं पगला घांई कैत आंव) मैं उनसे बढ़के आंव! बिलात मैनत करे में; बेर बेर जेहल जाबे में; कोड़ा घले में; बेर बेर मरत मरत बचो।
मानो कोऊ जानत नईंयां; अकेले सब जानत आंय; मरत जैसे आंय और तको जीयत आंय; ठुकत पिटतवारे जैसे आंय अकेले जान से नईं मरत।