41 पर दोई पानू की धारन के बीच पड़के जहाज बालू में फंस गओ, और ऊ को अगलो हिस्सा ऐसो धर गओ, की हिल नईं सको; और पाछें को हिस्सा लहरन के थपेड़न से टूटन लगो।
फिर ढीमरन ने डोंगी हां उठाओ, और जहाज हां खालें से ऊ परै लौ गिरमा से बांधो, और सुरतिस टापू के उथली जांगा में फंस जाबे के डर से पाल उतार के बहत चले गए।
जब ढीमर जहाज से भगबे की कोसिस कर रए हते, और अगले हिस्सा से लंगर डालबे के बहाने से डोंगी हां समुन्दर में उतार चुके हते।
उन ने लंगर काट के समुन्दर में छोड़ दओ, और ओई बेरा पतवारन की गांठें ढीली कर दईं, और बैहर के रुख में, हल्के पालन हां खोल के किनारे हां चल पड़े।
सिपाहियन की सोच हती की कैदियन हां मार डालें; जीसे उन में से कोऊ भी तैर के नईं कड़ पाबै।
सो हे मोरे प्यारे भईया हरौ, पक्के बने रओ, और पिरभु के काम में बढ़त जाओ, कायसे कि जानत आव, कि तुमाई मैनत पिरभु में अकारथ नईंयां।