13 तो हे राजा, मैंने दुहपरिया की बेरा गैल में सूरज से भी तेज ज्योत आकास से आत हेरी, जौन मोरे और मोरे संग्गै चलबे वालन के चारऊं कोद चमक रई हती।
उन के आंगू ऊको रूप बदल गओ और ऊको मों सूरज घांई चमक उठो, और ऊके उन्ना उजाले जैसे चमकदार हो गए।
और ऐसो भओ की जब मैं दुपरिया की बेरा गैल में हतो, आकास से एकाएक बड़ी ज्योत मोरे चारऊं कोद चमकी।
जौन मोरे संग्गै हते उन ने ज्योत तो तकी, पर जौन मोसे बोलत हतो ऊ की बोली नईं सुनी।
जब मैं मुखिया महापुरोहितन की मंजूरी और हुकम पाके ऐई धुन में दमिश्क हां जा रओ हतो।
जब हम सब धरती पे गिर पड़े, तो मोय इब्रानी बोली में जौ सुनाई पड़ो, हे शाऊ ल, हे शाऊ ल, तें मोय काय सतात आय? पैने पे लात मारबो तोरे लाने कठनआय।
पर निंगत निंगत जब बो दमिश्क के ऐंगर पोंचो, तो अचानक आकास से ऊके चारऊ कोद ज्योत चमकी।
और ऊ अपने हाथ में सात तारे लएं हतो: और ऊके मों से मानो तेज तलवार जैसी निकलत हती; और ऊ को मों ऐसो चमकत हतो, जैसे सूरज कड़ी धूप में चमकत आय।
और ऊ नगर में सूरज और चन्दा के उजयारे की जरुरत नईंयां, कायसे परमेसुर के तेज से उते उजयारो हतो, और मेमना उते की ज्योत हतो।