हे कपटी शास्त्रियो और फरीसियो तुम पे श्राप! तुम एक मान्स हां अपनी कोद लाबे के लाने पानू और धरती में फिरत आव, और जब बो आ जात आय, तो ऊहां अपने से दूनो बुरओ बना देत आव।
जब बो ऊहां मिल गओ तो ऊहां अन्ताकिया लै आओ, तब ऐसो भओ कि बे पूरे एक बरस लौ मण्डली के संग्गै मिलत और बिलात लोगन हां सीख देत रए, और चेले सब से पेंला अन्ताकिया में मसीही कहलाए।
बे हम में से निकले हते परन्त सांचई हम में के नईं हते; कायसे हमाए बीच के होते, तो हमाए संग्गै रैते, उन के निकल जाबे से पता पड़त आय कि बे हमाए बीच के न हते।