13 सब्त के दिना हम नगर के फाटक के बायरें नदिया के किनारे, जौ समझ के गए, कि उते प्रार्थना करबे की कोऊ जांगा हुईये; और हम बैठके उन बईयरन से बतकाओ करन लगे, जौन उते जमा हतीं।
जब हम बिनती करबे की जांगह जा रए हते, तो हम हां एक चाकरनी मिली जीमें भविष्य की बातें बताबेवाली आत्मा हती; बो शकुन सोचबे से अपने मालकन के लाने बिलात रुपईया कमा लात हती।
जब उते हमाए ठहरबे के दिना पूरे भए, तो हम विदा होकें चले; और सब मान्स बईयरन, बच्चन संग्गै हम हां नगर के बायरें लौ पहुंचाबे आए, और समुन्दर तीरे पे घुटना टेक के प्रार्थना करबे के पाछें हम ने एक दूसरे से विदा लई।
सो तुम अपने बिसवास जौन तुम ने करो आय ऊ में पक्के बने रओ, और सुसमाचार सुने पै जौन आस तुमाई बढ़ी हती, जी को परचार ई संसार में भओ; जीहां मैं पौलुस ने तुम हां सुनाओ।