20 बो सूर और सैदा के लोगन से बिलात गुस्सा हतो; बे एक मन होकें ऊके ऐंगर आए और राजमहल के हाकिम बलास्तुस हां मनाके मेल करबो चाहो; कायसे राजा के देस से उन के देस की रोटी चलत हती।
मालक ने ऊ अधरमी भण्डारी हां सराहो कि ऊ ने चतुराई से काम करो आय; कायसे ई संसार के मान्स अपनी बेरा के मान्सन के संग्गै रीत व्यवहारों में ज्योत के मान्सन से ज्यादा चतुर आंय।
उतै सें बा सीमा मुड़कें रामा में होत भए सोर नाओं गढ़वारे नगर लौ चली गई; फिन सीमा होसा कुदाऊं मुड़कें और अकजीब के लिगां के देस में होकें समंदर पै कड़ी; महलाब, अकजीब