5 मैं याफा नगर में प्रार्थना कर रओ हतो, मैंने बेसुध होकें एक दर्शन हेरो, कि एक बड़ी चदरा घांई कोऊ बस्त, चारऊं कोने से लटकत भई, आकास से उतर रई आय, बो ठीक मोरे ऐंगर आ गई।
फिन ऐसो भओ की जब मैं यरूशलेम लौट के मन्दर में प्रार्थना कर रओ हतो, तो मैं बेसुध हो गओ।
दमिश्क में हनन्याह नाओं कौ एक चेला हतो, ऊसे पिरभु ने दर्शन में कओ, हे हनन्याह! ऊ ने कओ; हओ पिरभु।
याफा में तबीता जाने के दोरकास नाओं की एक बिसवासिनी रैत हती, बा कुल्ल भले भले काम और दान दओ करत हती।
ई लाने कि लुद्दा याफा के ऐंगर हतो, चेलन ने जौ सुन के कि पतरस उते आय, दो मान्स पठै के ऊसे बिन्तवाई करी, कि हमाए इते आबे हां अबेर न कर।
जा बात सबरे याफा में फैल गई: और बहुतों ने पिरभु पे बिसवास करो।