12 तब प्रेरित जैतून नाओं के पहरवा से जौन यरूशलेम से एक किलो मीटर की दूरी पर आय, यरूशलेम हां लौटे।
जब बे यरूशलेम के ऐंगर पोंचे और जैतून पहरवा पे बैतफगे में आए, तो यीशु ने दो चेलन हां जौ कह के पठैव।
बिनती करियो; कि तुम हां जाड़े के दिना या सब्त के दिना में भागने न पड़े।
जब बो जैतून पहरवा पे बैठो हतो, तो ऊके चेले आके ऊसे कैन लगे, हम हां बता की जे बातें कबै हुईयें? और तोरे आबे की, और ई जुग के अन्त की का चिन्हार हुईये?
फिन भजन गाबे के बाद बे पहरवा पे चले गए।
जब यीशु जैतून नाओं पहरवा पे बैतफगे और बैतनियाह के ऐंगर पोंचो, तो ऊ ने अपने चेलन में से दो हां जौ कै कें पठैओ,
यीशु दिन को मन्दर में परचार करत हते; और रात हां बायरें जैतून नाओं के पहरवा पे रओ करत हते।
तब बो उन हां बैतनिय्याह लौ बायरें ले गओ, और अपने हाथ उठा के उन हां आसीष दई।
चेले ऊहां दण्डवत कर के बड़ी खुसी से यरूशलेम लौट गए।
बैतनिय्याह तो यरूशलेम के ऐंगर कोऊ दो मील की दूरी पे हतो।