जब उते हमाए ठहरबे के दिना पूरे भए, तो हम विदा होकें चले; और सब मान्स बईयरन, बच्चन संग्गै हम हां नगर के बायरें लौ पहुंचाबे आए, और समुन्दर तीरे पे घुटना टेक के प्रार्थना करबे के पाछें हम ने एक दूसरे से विदा लई।
ई लाने जब मैं इसपानिया हां जै हों तो तुम लौ होत भओ जै हों, कायसे मोय आसा आय, कि ऊ जांगा में तुम से भेंट कर हों, और जब तुमाई संगत से मोरो जी भर जाबै, तो तुम मोय कछु आंगू लौ पोंचा दईयो।
कायसे जदि तुम ने अधरम करके घूंसे खाए और गम्म खाई, तो ईमें का बड़वाई की बात आय? परन्त जदि साजो काम कर के पीड़ा झेलत आव और धीरज धरत आव, तो जौ परमेसुर हां साजो लगत है।