हे मोरे भईया हरौ, मैं खुद तुमाए बारे में पक्के से जानत आंव, कि तुम सोई आप ही भलाई से भरे और पिरभु परमेसुर की समज से भरेपूरे आव और एक दूजे हां चिता सकत आव।
जा बात मैंने तुम हां ईसें लिखी, कि ऐसो न होबे, मैं जब आओं तो जिन से मोरो जी ठण्डो होबो चईये, उनई से मोरो जी टूटे; कायसे मैं जौ जानत आंव, कि जौन बात से मोरो जी ठण्डो होत, ओई तुमाओ सब कौ हाल आय।