मैं तुम से सांची कहत आंव, कि जो इते ठांड़े आंय, उन में से कितेक ऐसे आंय; कि जब लौ मान्स के पूत हां ऊके राज्य में आत भए न हेर लै हैं, तब लौ मृत्यु कौ सुवाद कभऊं न चीख हैं।
आगे परमेसुर जौन सांचे आंय मोरे काजें धरम को मुकुट धरें आंय, जौन मोहां दै हैं और मोहां नईं, परन्त उन हां सोई दै हैं, जौन उनके फिन के आबे की प्रेम से बाट तकें आंय।
बड़े बूढ़े जनो, मैं तुम हां ईसे लिखत आंव, कि जौन संसार के पेंला से हते उन हां तुमने मानो आय, जुआनो, मैंने तुम हां ईसे लिखो आय, कि परमेसुर की बातन हां मानो कायसे तुम ऊ दुष्ट छलिया से जीते आव।
और उनके मों से एक चोखी तलवार कड़त आय, और बे लोहे को राजदण्ड लैके देश देश के मान्सन हां मार हैं और उनपै राज कर हैं, और परमेसुर के बड़े कोप से मदिरा के कुण्ड में दाखें रौंद हैं।
और उनको भरमाबे वालो शैतान छलिया आग और गन्धक से बरत झील में, जी में बो जनावर और लबरा अगमवकता सोई हुईये, ऊ में डाल दओ जै है, और बे सबरे रात दिना पिराते से तड़पत रै हैं।