परन्त पिरभु कौ दिन भड़या घांई आ जै है, ऊ दिन आकास बड़ी हड़बड़ाहट की गरजन से जात रै है, सबरी चीजें बिलात तांती होकें पिघल जै हैं, धरती और ऊ पे के काम जल जें हैं।
परमेसुर के ऊ दिना की बाट तक के ऊके झट्टईं आबे के लाने कैसी कोसिस करो चईये? ऊ दिना आकास आगी से जल के नास हो जै है, और चीजें बस्तें बिलात तांती होकें पिघल जें हैं।
जैसे सदोम और अमोरा और उनके ऐंगर के नगर, परमेसुर हां छोड़ के दूसरे हां मानन लगे हते और परतिरिया के पाछें पड़े हते, उन हां आग में बार दओ हम उन से सीख लेबें।
जो जनावर तेंने तको आय, जो पेंला तो हतो, परन्त अब नईयां, जो बिलात गैरे कुण्ड में से कड़ है और विनाश में पड़ है। और धरती के रैबेवारे मान्स जिनके नाओं पेंला से जीवन की पोथी में नईं लिखे गए, ई जनावर की जा हालत तक के, कि पेंला हतो, और अब नईंयां; और अब फिन आ जा है, अजूबा मान हैं।