12 परमेसुर के ऊ दिना की बाट तक के ऊके झट्टईं आबे के लाने कैसी कोसिस करो चईये? ऊ दिना आकास आगी से जल के नास हो जै है, और चीजें बस्तें बिलात तांती होकें पिघल जें हैं।
मैं तुम से सांची कहत आंव, कि जो इते ठांड़े आंय, उन में से कितेक ऐसे आंय; कि जब लौ मान्स के पूत हां ऊके राज्य में आत भए न हेर लै हैं, तब लौ मृत्यु कौ सुवाद कभऊं न चीख हैं।
परन्त पिरभु कौ दिन भड़या घांई आ जै है, ऊ दिन आकास बड़ी हड़बड़ाहट की गरजन से जात रै है, सबरी चीजें बिलात तांती होकें पिघल जै हैं, धरती और ऊ पे के काम जल जें हैं।