जैसे मैं जब दूसरी बेर तुमाए संग्गै हतो, मानो दूर रैत भए उन से जिन ने पेंला पाप करो, और दूसरे लोगन से अब पेंला से कय देत आंव, कि मैं फिन आहों, तो अब न छोड़ हों।
तुम हां सबरी बातें एक बेर बताई आंय, परन्त फिन के बताओ चाहत आंव, कि परमेसुर ने एक बिरादरी के लोगन हां मिश्र देस से छुड़ाओ, परन्त जिन ने उनकी नईं मानी उन हां मार डालो।