मैंने तीतुस हां समझा बुझा के और ऊके संग्गै ऊ भईया हां पठैव, तो का तीतुस ने कछु बेईमानी से तुम से कछु ले लओ? का हम एकई आत्मा से नईं चलें? का एकई गैल पै नईं चलें?
इतनो नईं, मण्डली ने सोई सोचो कि दान के काम में बो हमाए संग्गै जाबे, सो हम जा सेवा ईसे करत आंय, कि पिरभू को मान बढ़े और हमाए मन को राजी होबो पता हो जाबे।
कोऊ जनें तीतुस के लाने पूछे, तो बो मोरो संगी, और तुमाए लाने मोरे संग्गै काम करबेवारो आय, और हमाए भईयन के लाने पूछो, तो बे मण्डली के लोगन ने पठैव और परमेसुर के मान के लाने आंय।
सो मैंने भईयन से जा बिन्तवारी करी कि बे पेंला तुम लौ जाबें, और तुमाए खुले मन के काम जिनके काजें मैंने पेंला उन हां कहो हतो, तईयार कर लेबें, कि जौ लोभ से नईं अकेले खुले मन से होबे।
मोरे लौ सब कछु आय, और बिलात सोई आय: जौन बस्तें तुम ने इपफ्रुदीतुस के हाथन पठैई हतीं बे मोहां बहुतई साजी लगीं, बे मानो ऊ बली जैसे आय, जी की गन्ध और बलदान से परमेसुर खुस होत आय।