12 कायसे मन से दान दओ जाबे तो बो ग्रहण होत आय, जौन उन लौ आय अकेले ऊसे जौन उन लौ नईंयां।
ऐई तरहां जीहां दो रुपईया मिले हते, ऊने सोई दो और कमाए।
और जीहां दो रुपईया मिले हते, ऊने भी आके कई; हे मालक, तेंने मोय दो रुपईया दए हते, हेर, मैं ने दो और कमाए आंय।
जौन तनक से तनक में सांचो आय, ऊ बिलात में सोई सांचो आय: और जौन तनक से तनक में अधरमी आय, ऊ बिलात में सोई अधरमी आय।
ईसे अब जौ काज पूरो करो, जैसी तुमाई मरजी आय, अपनी पूंजी लगा के ई काज हां पूरो कर डालो।
ऐसो नईंयां, कि दूसरन हां मजा मिले और तुम हां परेसानी।
इतनो नईं, मण्डली ने सोई सोचो कि दान के काम में बो हमाए संग्गै जाबे, सो हम जा सेवा ईसे करत आंय, कि पिरभू को मान बढ़े और हमाए मन को राजी होबो पता हो जाबे।
हर एक जनें जैसो मन में ठानें ऊं सई दान करे; कुड़कुड़ा के नईं, और दबाओ से नईं, कायसे परमेसुर खुले मन से देबेवारे से प्रेम करत आय।
जीहां जौन वरदान मिलो आय, बो ऊ ए परमेसुर के कैऊ भांत के अनुग्रह के साजे भण्डारी घांई दूसरन की सेवा में लगाबें।