परन्त मैं जो कछु आंव, परमेसुर की दया से आंव: और उनकी जौन दया मो पे भई आय, बा अकारथ नईं गई; परन्त मैंने उन सबरन से बढ़के मैनत सोई करी: जानो कि जौ मोरी कुदाऊं से नईं भओ परन्त परमेसुर की दया से जौन मो पे हती।
जब तुमाए संग्गै हतो, और मोहां घटी भई, तो मैंने कोनऊ पै बोझो नईं डालो, कायसे मकिदुनिया वारे भईयन ने आके, मोरी कभी घटी पूरी कर दई: और मैंने कोई बात मैं अपनो बुझवा तुम पै नईं डालो, और कभऊं न डाल हों।
कायसे मैं तुमाए मन की तईयारी हां जानत आंव, जीसे मैंने मकिदुनिया वारन के सामूं बड़बारी करी, कि अखया के मान्स एक साल से राजी भए, तुमाए हुलास ने बिलात जन हां उसकेरो आय।