ऊ कबूतरी हों अपने गोड़े टेकबे के लाने कछु भी आधार नें मिलो, तब बा ऊके लिगां जहाज में लौट आई: कायसे पूरी पृथ्वी के ऊपर पानूं ही पानूं फैलो हतो। तब ऊने हाथ बढ़ाकें ऊहों अपने जहाज में बापस लै लओ।
जा बात मैंने तुम हां ईसें लिखी, कि ऐसो न होबे, मैं जब आओं तो जिन से मोरो जी ठण्डो होबो चईये, उनई से मोरो जी टूटे; कायसे मैं जौ जानत आंव, कि जौन बात से मोरो जी ठण्डो होत, ओई तुमाओ सब कौ हाल आय।