3 मैं तुम हां दोष देबे हां ऐसो नईं कैत: कायसे मैंने पेंला से तुम से कहो आय, कि तुम हमाए हिये में ऐसे बसे आव कि हम तुमाए संग्गै मरबे जीबे हां राजी आंय।
की काजें? का ईसे कि मैं तुम से प्रेम नईं करत? परमेसुर जौ जानत आय।
मैं जो कछु तुम हां चाने मैं बड़े खुलके खरचा कर हों, और खुद खरचा हो जैहों: का जितनो बढ़ के प्रेम मैं तुमसे करत आंव, का तुम उतनो घट के प्रेम मोसे कर हौ?
ईसे में तुमाए पीठ पाछें जौ लिखत आंव, कि उते आके जौन अधकार मोहां मिलो आय जीहां पिरभू ने बिलोरबे हां नईं अकेले बनाबे हां मोहां दओ आय, कर्रे होकें कछु करने न पड़े।
हमाई चिठिया तो तुमई आओ, जौन हमाए हिये में उतरी आय, और ऊहां सबरे जनें पढ़त और मानत आंय।
फिन जौन मैंने तुम हां लिखो, ईसे नईं कि कोऊ से अन्याय करो, और न ऊके कारन जी पे अन्याय करो गओ, अकेले तुमाओ मन जौन हम पै आय, बो परमेसुर के सामूं तुम हां पता पड़ जाबे।
मैं एैसई तुम सब के लाने सोचत आंव, कायसे तुम सबरे जनें मोरे हिये में बसे आव, और चाहे मैं इते जेहल में आंव और सुसमाचार हां प्रचारत आंव तुम सबरे जनें मोरे संग्गै ठांड़े आव।
हम तुम से प्रेम करत हते सो परमेसुर की बातें तुम हां सुनाईं, इतनो लौ कि हम अपनी जान दैबे हां तईयार हते, कायसे तुम हमाए हिये में बस गए हते।