16 और मूरतन को परमेसुर के मन्दर में का काज? कायसे हम जियत परमेसुर के मन्दर आंय; जैसो परमेसुर ने कहो आय कि उन में बस हों और उन में घूम हों; और मैं उन को परमेसुर और बे मोरे जनें कहा हैं।
कोऊ मान्स दो मालकन की चाकरी नईं कर सकत, कायसे बो एक से बैर और दूसरे से प्रेम रख है, या एक से मिलो रै है और दूसरे हां नैचों जान है; “तुम परमेसुर और धन दोई की भक्ति नईं कर सकत”।
यीशु ने एक और कनोत सोई उन से कई; कि कोऊ मान्स पैरत के नये उन्ना में से फाड़ के पुराने उन्ना में पैबन्द नईं लगात, नईं तो नओ तो फट जा है और ऊ नओ पुराने उन्ना से मेल सोई न खा है।
जदि ओई कौ आत्मा जीने यीशु हां मरे भयन में से जिलाओ तुम में बसो आय; तो जीने मसीह हां मरे भयन में से जिलाओ, बो तुमाई मिटबेवारी देयां हां सोई अपने आत्मा से जौन तुम में बसो आय जिला है।
मोरे आबे में तनक अबेर हो जाबै, तो ध्यान धरियो, कि परमेसुर को घर, जियत परमेसुर की मण्डली आय, जौन सांचे को खम्भा और उठी नी आय; ईमें कैसो चलो चईये ईपै ध्यान धरियो।
पिरभू कैत आय, कि अब जौन कौल मैं उन के संग्गै बांध हों, बा ऐसी आय, कि मैं अपने नैम हां उनके हिये और जी में डाल हों, और बे औरें मोरे जनें हुईयें और मैं उन को परमेसुर हुईयों।
फिन मैंने सिंहासन में से कोऊ हां जा टेर लगात सुनो, कि हेर, कि परमेसुर कौ डेरा मान्सन के बीच में आय; और मान्सन उनके संग्गै रै हैं, और बे मान्सन के परमेसुर कहा हैं।