15 मैं जो कछु तुम हां चाने मैं बड़े खुलके खरचा कर हों, और खुद खरचा हो जैहों: का जितनो बढ़ के प्रेम मैं तुमसे करत आंव, का तुम उतनो घट के प्रेम मोसे कर हौ?
जदि हम दुख में पड़े आंय, तो ईसे तुम हां सान्ति और तरन तारन के लाने आय और जैसे सान्ति मिलत आय, तो तुमाई सान्ति के लाने आय; जीके जोर से तुम चिमाने उन पिरातों हां सह लेत आव, जैसे हम सोई सहत आंय।
और उन ने मोसे कई, मोरी दया तोपे बिलात आय; कायसे मोरी बल कमजोरी में दिखात आय; ईसे मैं बड़े मजे से अपनी कमजोरियन पे बड़वाई कर हों, कि मसीह को जोर मोरे ऊ परै छाओ रए।
जा बात मैंने तुम हां ईसें लिखी, कि ऐसो न होबे, मैं जब आओं तो जिन से मोरो जी ठण्डो होबो चईये, उनई से मोरो जी टूटे; कायसे मैं जौ जानत आंव, कि जौन बात से मोरो जी ठण्डो होत, ओई तुमाओ सब कौ हाल आय।
अपने गुरु जनों की मानो बे तुमाए जीवन हां तकें रैत आंय; कायसे बे परमेसुर हां तुमाए लाने लेखो दै हैं, बे जो काज खुसी से करें, बोझो न समझें, कायसे ऐसी सेवा से तुम हां कोई फायदा न हुईये।