32 दमिश्क में अरितास राजा जौन हाकम हतो, ऊ ने मोहां पकड़बे दमिश्कियों के नगर में पैहरा बैठा दओ हतो।
दमिश्क में हनन्याह नाओं कौ एक चेला हतो, ऊसे पिरभु ने दर्शन में कओ, हे हनन्याह! ऊ ने कओ; हओ पिरभु।
और ऊसे दमिश्क के आराधनालयों के नाओं पे ई बात पे चिठियां मंगाई, कि का मान्स, का बईयर, जिन हां ई पंथ के पाबे उन हां बांध के यरूशलेम ले आबै।
तब शाऊ ल धरती पे से उठो, पर जब आंखें खोलीं तो ऊहां कछु दिखाई न दओ और बे ऊकौ हाथ पकड़ के दमिश्क में ले गए।
मोहां बेर बेर यात्रा में; नदियों की परेसानी में; भड़यों के जोखम में; अपने जात बिरादरी वारन से परेसानी में; दूसरे बिरादरी वारन से परेसानी में; शहरन की परेसानी में; जंगल की परेसानी में; समद्र की परेसानी में; नकली भईयन से परेसानी में।