4 बो हमाए सबरे पिराते में सान्ति देत आय; कि ऊ सान्ति से जौन परमेसुर हम हां देत आय, उन हां सोई सान्ति देबे, जौन कोई पिराते से दुखी होबे।
और मैं बाप से बिनती कर हों, और बो तुम हां एक और संग्गी दै है, कि बो सदा तुमाए संग्गै रए।
मैं तुम हां अनाथ नईं छोड़ हों, मैं तुमाए ऐंगर आत आंव।
परन्त संग्गी यानि पवित्र आत्मा जीहां बाप मोरे नाओं में पठै है, बो तुम हां सब बातें सिखा है, और सब कछु जौन मैंने तुम से कई आय, तुम हां खबर करा है।
ईसे हम हां चैन मिलो, और हमाई सान्ति और ऊके संग्गै तीतुस को आनन्द ने हम हां औरई आनन्द दओ, कायसे ऊ को हिया तुमाई बातन से ठण्डो हो गओ।
मैं बड़ी हिम्मत से कैत आंव, कि मोहां तुम पै बड़ो धमण्ड आय: मोरो मन सान्ति से भर गओ आय; अपने सबरे पिराते में मोरो मन खुसी से बेचैन आय।
और पिरभू में जौन मोरे भईया आंय, मोरे पकड़े जाबे से और भी हिम्मत से पिरभू को बचन सुनात रैत आंय।
सो इन बातन से एक दूजे हां सान्ति बंधाओ।
सो एक दूजे हां उसकाओ, और एक दूजे हां बिसवास में पक्को करो, और तुम ऐसई करत सोई आव।
सो अब अपने हाथन हां मजबूत और अपने घुटने के बल ठांड़े होओ।