जब दिन कड़ो, तो बे ऊ जांगा हां नईं चीन पाए, पर उनहां एक खाड़ी दिखाई पड़ी, जीको तीरो चौरस हतो, और उन ने सोचो, अगर हो सके तो जहाज हां ओई तीरे पे लगा दओ जाबै।
और हम ने बुरय कामन हां छोड़ दओ आय, और बनके नईं चलत, और न परमेसुर के बचन में कछु मिलात आंय, अकेले सांची बातें उजागर करत आंय, और परमेसुर हां जानत भए सबरन के हिये पै अपनी बात बैठा देत आंय।