10 कायसे रुपईया कौ लोभ सब परकार की बुराईयन की जड़ आय, जीहां पाबे की कोसिस करत भए कितेक जनें बिसवास की गैल से भटक के अपने आप हां बिलात परकार के दुखों से छलनी कर लओ आय।
हे कपटी शास्त्रियो और फरीसियो तुम पे श्राप! कायसे तुम मान्सन के विरोध में सरग के राज्य कौ द्वार बन्द कर देत आव, तुम न तो खुद जात आव और न जाबे वारन हां भीतर जान देत आव।
सो अब अपनी देह की अभलाखा हां पूरो न करो, परतिरिया संगत करबे की अभलाखा और गन्दे काम, बुरय विचार, और दूसरन की बस्तन को लालच न करो, कायसे जे सब मूरत की पूजा जैसे आंय।
कि जब मोहों लूट में शिनार देस कौ एक नोंनो ओढ़ना, और दो सौ शेकेल चांदी, और पचास शेकेल सोने की एक ईंट देखी हती, तब मैंने उनकौ लालच करके उनहों रख लओ, बे मोरे डेरे के भीतर धरती में गड़े आंय, और सबके खालें चांदी आय।”