मोरे आबे में तनक अबेर हो जाबै, तो ध्यान धरियो, कि परमेसुर को घर, जियत परमेसुर की मण्डली आय, जौन सांचे को खम्भा और उठी नी आय; ईमें कैसो चलो चईये ईपै ध्यान धरियो।
मोय तुम हां और बिलात बातें लिखबे हां आंय, परन्त कागज और सियाही से नईं लिखो चाहत; मोरी मन्सा आय, कि तुम लौ आओं और आमूं सामूं बतकाओ करों, जीसे मोरो और तुमाओ मन भरै।