तब मांझी ने ऊके लिगां आकें कई, “तें इतै गैरी नींद में पड़ो का कर रओ आय? उठ, अपने देवता हों पुकार! हो सकत आय कि तुमाओ देवता हमाई फिकर करै, और हमाओ नास नें होबै।”
धन्न आंय बे चाकर, जिन हां उन कौ मालक आके जागत पाबे; मैं तुम से सांसी कैत आंव, कि बो कमर बान्ध के उन हां भोजन कराबे हां बैठा है, और ऐंगर आन के उन की सेवा कर है।