तब मैंने ऊसें पूंछो, ‘तें कौन की मोंड़ी आय?’ ऊने कई, ‘मैं तौ नाहोर सें पैदा भए मिल्का के मोंड़ा बतूएल की मोंड़ी आंव,’ तब मैंने ऊकी नाक में बा नथ और ऊके हाथों में कड़ा पहना दए।
तीसरे दिना एस्तेर अपने राजकीय उन्ना पैरकें राजभवन के भीतरी आंगन में जाकें, राजभवन के सामूं ठांड़ी हो गई। राजा तौ राजभवन में राजगद्दी पै भवन के दोरे के सामूं बैठो हतो;
और ई संसार के जैसे न बनो; पर तुमाए समज के नए हो जाबे से तुमाओ चाल सोई बदलत जाबे, जी से तुम परमेसुर की साजी और भावती, और सिद्ध अभलाखा अनुभव से मालूम करत रओ।
ई लाने कि जदि इन में से कोई ऐसे होंय जौन बचन हां न मानत होबें, पर तुमाए डर संग्गै पवित्तर चाल चलन हां तक के बिना बचन के अपनी अपनी बईयर के चाल चलन के द्वारा खिंच जाबें।