हे कपटी शास्त्रियो और फरीसियो तुम पे श्राप! कायसे तुम मान्सन के विरोध में सरग के राज्य कौ द्वार बन्द कर देत आव, तुम न तो खुद जात आव और न जाबे वारन हां भीतर जान देत आव।
कायसे ऊकौ दूसरो छोर तो मौत आय, परन्त अब पाप से स्वतन्त्र होकें और परमेसुर के चाकर बन के तुम हां फल मिलो जीसे पवित्रता मिलत आय, और ऊके दूसरे छोर पै अनन्त जीवन आय।
पर जौन मान्स स्वतन्त्रता की सिद्ध नैम व्यवस्था पे ध्यान करत रैत आय, बो अपने काम में ई लाने आसीष पा है कि बो सुन के बिसरत नईं, परन्त वैसई काम सोई करत आय।
कायसे कछु जनें चुपके से हमाए संग्गै जुड़ गए आंय, जिन हां पैले से लिखो आय कि उन हां दण्ड दओ जाबै, कायसे बे सच्चे नईयां, और परमेसुर की दया हां छोड़ बुरय कामन में लगे रैत आंय, और हमाए महाबली मालक और पिरभु यीशु मसीह हां नईं मानत।