17 जब कि तुम, हे बाप, कह के ऊसे बिन्तवाई करत आव, जौन बिना पिच्छदारी करके सबई कोई के कामन के अनसार न्याय करत आय, तो अपने परदेसी होबे की बेरा डर के काटो।
याकूब ने फिरौन सें कई, “मैं एक सौ तीस साल परदेसी होकें अपने जीवन बिता चुको आंव; मोरे जीवन के दिना थोड़े और दुख सें भरे भए सोई हते, और मोरे बाप-दादा परदेसी होकें जितेक दिना लौ जियत रए उतेक दिना कौ मैं अबै नईं भओ।”
ई लाने उन ने अपने चेलन हां हेरोदियन के संग्गै ऊके ऐंगर जौ कहबे हां पठैव, कि हे गुरू; हम जानत आंय, कि तें सच्चो आय; और परमेसुर की गैल सच्चाई से सिखात आय; और कोऊ की परवाह नईं करत, कायसे तें मों हेरी बात नईं करत।
सो तकौ, ऐई बात सेकि तुम हां परमेसुर भक्ति को शोक भओ जीसे तुमें जोस आओ कि जुआब देबो और खुन्स, और डर, और लालसा, और धुन और बदला लैबे की मन में आई? अकेले तुम ने सबरी हालत में जौ दिखा दओ, कि तुम इन बातन से बरी आव।
जौन जनें कछु बड़े समझे जात हते (बे चाए जैसे हते, मोहां ईसे काम नईंयां, परमेसुर कोऊ न्यारी बातें नईं करत) उन से जौन कछु समझे जात हते, मोहां कछु नईं मिलो।
पर मसीह हां पिरभु जान के अपने अपने मन में पवित्तर समजो, और जौन कोई तुम से तुमाई आसा के बारे में कछु पूंछे, तो ऊ ए जवाब देबे के लाने हमेसा तईयार रओ, पर नरमता और डर के संग्गै।