19 बे हम में से निकले हते परन्त सांचई हम में के नईं हते; कायसे हमाए बीच के होते, तो हमाए संग्गै रैते, उन के निकल जाबे से पता पड़त आय कि बे हमाए बीच के न हते।
चट्टान पे के बे आंय, कि जब सुनत आंय, तो खुसी से बचन हां अपना तो लेत आंय, पर जड़ न पकड़बे से बे तनक देर हां बिसवास रखत आंय, पर जांच परख की बेरा डगमगा जात आंय।
पर जो कोनऊं ऊ पानू में से पी है, जौन मैं ऊहां दै हों, बौ कभऊं प्यासो नईं हुईये, कायसे बो पानू ऐसो दैहों, ऊ में सदा लौ जीबे के लाने उमड़बे वालो पानू कौ सोता बन जै है।
परन्त परमेसुर की बातें जीमें नीं जैसी बैठ गई आंय, उन पै ऐसी छाप लगी आय कि परमेसुर उन हां चीनत आंय; जो कोनऊं परमेसुर को नाओं जपत आय, बो अधरम से बचो रै है।