16 कायसे जो कछु संसार में आय, जानो कि मान्स की अभलाखा, आंखन की अभलाखा, और अपनी कमाई पै घमण्ड, जे सबरी बातें परमेसुर के मन की नईंयां, परन्त संसार की बातें आंय।
सो जब बईयर ने हेरो कि ऊ पेड़ कौ फल खाबे में नोंनो, और हेरबे में मन हों भाबेवारो, और बुद्धि दैबे के लाने सोई बढ़िया आय; तब ऊने ऊहों तोड़कें खा लओ, और अपने घरवारे हों भी दओ, और ऊने सोई खाओ।
कायसे हम पेंला, मूरख और परमेसुर की अग्या न मानबेवाले, और दुबधा में हते, और भांत भांत की चाहना करत हते, और मजा मौज चाहत हते और अदावट धरें हते, और दूसरन को बुरओ सोचत हते, और बहुत घिना हते और दूसरन से बैर मानें हते।
कि जब मोहों लूट में शिनार देस कौ एक नोंनो ओढ़ना, और दो सौ शेकेल चांदी, और पचास शेकेल सोने की एक ईंट देखी हती, तब मैंने उनकौ लालच करके उनहों रख लओ, बे मोरे डेरे के भीतर धरती में गड़े आंय, और सबके खालें चांदी आय।”
सब से बढ़ के उन हां जौन बुरई बासनाओं के बस में होकें देयां के अनसार निंगत, और पिरभु के राज हां ओछो जानत आंय; बे ढीठ, और हठी आंय, और ऊंचे पद वारन हां बुरो भलो कैबे से नईं डरात।