27 परन्त मैं अपनी देयां को मारत कूटत, और बस में करें रैत आंव; ऐसो न होबे कि दूसरन को परचार करके, मैं खुद कोई भांत से निकम्मो ठैरों।
पर जा बिधवा मोय सतात रैत आय, ई लाने मैं ऊकौ न्याव चुका हों कऊं ऐसो न होबे कि बा बेर बेर आके अन्त में मोरी नाक में दम करे।
जदि मान्स सबरे संसार हां पा लेबे, और अपनो प्रान हिरा देबे, या ऊकौ नुकसान उठाबे, तो ऊए का लाभ हुईये?
कि बौ सेवकाई और प्रेरिताई कौ पद ले, जीहां यहूदा छोड़ के अपने स्थान हां गओ आय।
कायसे जदि तुम अधर्म के अनसार समय बिता हौ, तो मर हौ, जदि आत्मा से देयां के बुरए कामन हां मार हौ, तो जीयत रै हो।
ई काजें जदि खैबो मोरे भईया हां ठेस खबाए, तो मैं कभऊं कोऊ भांत से मांस न खै हों, न होबे कि मैं अपने भईया को उपटा कौ कारण बनों।
और सबरे पैलवान सबई परकार कौ संयम करत आंय, बे तो नास होबेवारे मुकट को पाबे के लाने जौ सब करत आंय, परन्त हम तो ऊ मुकट के लाने करत आंय, जौन नास न हुईय।
मैनत करत दुख में; बेर बेर जागत रैबे में; भूखे पियासे में; बेर बेर उपासे रैबे में; जड़कारे में; खुले में रैबे में।
सो अब अपनी देह की अभलाखा हां पूरो न करो, परतिरिया संगत करबे की अभलाखा और गन्दे काम, बुरय विचार, और दूसरन की बस्तन को लालच न करो, कायसे जे सब मूरत की पूजा जैसे आंय।
जवानी की अभलाखा से दूर बनो रै; और जौन साजे मन से पिरभु हां मानत आंय, उनके संग्गै धरम और प्रेम से चलो, और दूसरे जनन से मिले रओ।
हे प्यारो मैं तुम से बिन्तवाई करत आंव, कि तुम अपने आप हां परदेसी और यात्री जान के उन संसारी अभलाखाओं से जौन आत्मा से लड़त आंय, बरके रओ।
बे सूदी गैल हां छोड़ के भटक गए आंय, और बओर के पूत बिलाम की गैल पे चलत आंय; जीने अधरम की मजूरी हां प्यारो जानो हतो।