29 हे भईया हरौ, मैं जौ कैत आंव, कि बेरा हां घटा दओ गओ आय, ई लाने चईये कि जिन की घरवारी होबे, बे ऐसे होबें मानो कि उन की घरवारी नईंयां।
एक और ने कओ; मैं ने ब्याओ करो आय, ई लाने मैं नईं आ सकत।
परन्त जदि तें ब्याओ सोई करे, तो पाप नईंयां; और जदि कुंआरी ब्याही जाबै तो कछु पाप नईंयां; परन्त ऐसन हां देयां की पीड़ा हुईये, और मैं बरकाओ चाहत आंव।
और रोबेवारे ऐसे होबें, मानो रोऊ त नईंयां; और खुसी मनाबेवारे ऐसे होबें, मानो खुसी नईं मनात; मोल लेबेवारे ऐसे होबें, मानो उन लौ कछु नईंयां।
और ई संसार की बस्तन हां काम में लाबेवारे ऐसे होबें, कि उनई में मगन न हो जाबें, कायसे ई संसार की रीत और ब्योहार बदलत जात आंय।
सबरे प्रानी घांस घांई आंय, और ऊ की सबरी सुन्दरता घांस के फूल घांई आय: घांस सूख जात और फूल झड़ जात आय।
सबरी बातन को अखीर तुरतईं होबेवारो आय; ई लाने संयमी होकें बिन्तवाई के लाने हुसयार रओ।
संसार और ई संसार की अभलाखा इतई मिट जै है, परन्त जौन परमेसुर की कई करत आय, बो हमेसा बनो रै है।