4 जदि तुम हां संसार की बातन कौ न्याव करने होबे, तो का उनहां बैठा हौ जौन समाज में कछु नईं समजे जात आंय?
कायसे मोहां बायरेंवारन से का काम? कि उन कौ न्याव करों का तुम अपनी समाज में न्याव नईं करत?
का तुम हां जौ पता नईंयां, कि हम सरगदूतन कौ न्याव कर हैं? तो का संसार की बातन कौ न्याय न करें?
मैं तुम हां लज्जित करबे हां ऐसो कैत आंव: का तुम में एकऊ समझवारो नईंयां, जौन अपने भईयन के बीच न्याव करे।