का तुम हां पता नईंयां, कि जौन न्याव बिलोरत आंय बे परमेसुर के राज में न जा पा हैं? ई धोखे में न रईयो, न बेश्या से संगतवारे, न मूर्ती पूजा करबेवारे, न दूसरे की तिरिया से संगत करबेवारे, न लुच्चे, न लुगुवा लुगुवा से संगत करबेवारे।
और मोरो परमेसुर कहूं मोहां फिन के तुम लौ आबै हों जोर देबे और मोहां फिन के बिलात जनों से दुख होबे, जीनें पेंला पाप करो हतो, और उन बुरए काज, परतिरिया संगत, और लुचपन से, जौन उन ने करे, मन न बदलो होबै।
सो अब अपनी देह की अभलाखा हां पूरो न करो, परतिरिया संगत करबे की अभलाखा और गन्दे काम, बुरय विचार, और दूसरन की बस्तन को लालच न करो, कायसे जे सब मूरत की पूजा जैसे आंय।