और गैल के मजारें एक अंजीर कौ पेड़ देख के ऊके ऐंगर गओ, पर पत्तन हां छोड़के कछु नईं मिलो तब ऊने कई, अब से तोमें कभऊं फल नईं लगें; अंजीर कौ पेड़ ओई घड़ी सूख गओ?
हे कपटी शास्त्रियो और फरीसियो तुम पे श्राप! कायसे तुम मान्सन के विरोध में सरग के राज्य कौ द्वार बन्द कर देत आव, तुम न तो खुद जात आव और न जाबे वारन हां भीतर जान देत आव।
ऊ ने जा ई लाने नईं कई, कि ऊहां कंगालन की चिन्ता हती, परन्त ई लाने कि बो भड़या हतो और ऊके ऐंगर रुपईयन कौ थैला रैत हतो, और जौन कछु ऊ में डालो जात हतो, बो ऊहां निकाल लेत हतो।
मोरो कैबो जौ आय; कि जदि कोऊ बिसवासी कहाबे, और परतिरिया संगतवारो, लालची, मूरतन की पूजा करबेवारो, गाली देबेवारो, दारू पीबेवारो, या अंधेर करबेवारो होबै, तो ऊ की संगत न करियो; इते लौ कि ऐसे मान्स के संग्गै रोटी सोई न जेईयो।
दूसरन को बुरओ चाहबो, नसा करबो, नांच, राई, और ऐसई बुरय काम, इनके लाने मैं पेंला से कैत आंव, जैसो पेंला सोई कहो हतो, कि ऐसे काम करबेवारे ईसुर के राज में हक्कदार नईं हुईयें।
कायसे तुम हां पता आय, कि कोऊ परतिरिया संगत करबेवारो, कि गन्दो मान्स, और लोभी मान्स, जौन मूरतें पूजा करबेवारे जैसो आय, मसीह और परमेसुर के राज्य में हींसा न हुईये।
ई बात में कोई अपने भईया हां न ठगे, और न ऊ की भली मंसा को गलत फायदा उठाए, परमेसुर ऐसे मान्स हां उनके पापन के लाने दण्ड दै है; जैसो हम ने पेंला बता के चिता दओ हतो।