कायसे मैं ऊ दया किरपा के काजें जौन मोय पै भई आय, तुम सबरन से कैत आंव, कि जैसो समजो चईये, ऊसे बढ़ के कोई अपने हां न समजे परन्त जैसो परमेसुर ने सबई हां योग्यता अनसार बिसवास दओ आय, ऊंसई सई सोच बिचार के संग्गै अपने हां समजे।
इत्तो करौ कि तुमाओ जीवन सुसमाचार की बातन जैसो होबै, और चाहे मैं आओं और न आओं मोहां पता चलै, कि तुम एकई मन के बने आव और एक होकें पिरभू की बात दूसरन लौ बताबे में लगे रैत आव।
तें जो कैत आय, कि मैं बड़ो धनी आंव, और धनवालो हो गओ आंव, और मोहां कोनऊ बस्त की कमी नईंयां, और जौ नईं जानत, कि तें अभागा और तुच्छ और कंगाल और अन्धरा और नंगो आय।