20 और फिन पिरभु ज्ञानियन की चिन्ताओं हां जानत आय, कि बे ऊं सई आंय।
ई काजें कि बे परमेसुर हां जानत हते, तो भी उन ने परमेसुर की बड़वाई और धन्नबाद नईं करो, परन्त अपने हियन से बेकार के सोच विचार करन लगे, और उन कौ अज्ञानी मन अंधेरो हो गओ।
चौकन्ने रओ कि कोई तुम हां बेकार बतकाओ में न फंसा लेबे, जौन मान्स की बातें आंय बे सब संसार कौ छल आय, परन्त जे बातें पिरभू की नईंयां।