2 मैंने तुम हां दूध पिबाओ, अन्न न खबाओ; कायसे कि तुम ऊहां न खा सकत हते; इते लौ कि अब लौ सोई नईं खा सकत आव।
मोय तुम से और भी बिलात बातें कैने आंय, पर तुम अबै ऊहां सह नईं सकत आव।
नये जन्मे भए बच्चन की घांई सुद्ध आत्मिक दूध की लालसा करो, ताकि ऊ सें तारण पाबे के लाने बढ़त जाओ।