19 कायसे ई संसार कौ ज्ञान परमेसुर के सामूं मूरखपन आय, जैसो लिखो आय; कि बो ज्ञानियन हां उनईं की चतुराई में फंसा देत आय।
तब हामान ओई खम्भा पै जीहों ऊने मोर्दकै के लाने तईयार करवाओ हतो, लटका दओ गओ। ईपै राजा कौ गुस्सा ठंड़ो पड़ गओ।
फिन हम समजदारों में ज्ञान की बातें सोई सुनात आंय: परन्त जौ ज्ञान न तो ई संसार कौ, और न ही हाकमन कौ आय जौन नास होबेवारे आंय।
हे भईया हरौ, मैंने इन बातन में अपनी और अपुल्लोस की कनौत सी कई, कि तुम हम से जौ सीखो, कि जैसो लिखो आय ऊसे आंगू न बढ़ियो, एक हां बड़ो और दूसरे हां ओछो न जानियो।
कि हम आगे बच्चन घांई नईं रैबें, जौन मान्सन की ठगाई और चालाकी से उनके फंसाबे की चाल, और उनके कैबे से, एक एक बयार से उछाले, और इते उते घुमाए जात आंय।
जा समज बा नईंया, जौन ऊपरै से उतरत आय पे संसारी, और अपुन की, देयां की, और शैतान छलिया की आय।