1 हे भईया हरौ, मैं तुम से ई परकार से बातें नईं कर सको, जैसे आत्मिक जन से; परन्त जैसे सारीरिक जन से, और उन जैसे जौन मसीह में हल्के बच्चा घांई आंय।
तब ऊने मुड़के पतरस से कई, हे शैतान मोरे सामने से दूर हो: तें मोरे लाने ठोकर कौ कारन आय; कायसे तें परमेसुर की बातन पे नईं, पर मान्सन की बातन पे मन लगात आय।
हम जानत आएं कि नैम व्यवस्था तो आत्मिक आय, परन्त मैं अधर्मी और पाप के हाथ बिको भओ आंव।
हे भईया हरौ, तुम समज में हलके बच्चा न बनो: जानें कि बुराई में तो हलके बच्चा रओ, परन्त समज में सियाने बनो।
जदि कोऊ मान्स अपने हां अगमवकता या आत्मिक जनो समजे, तो जौ जान लेबे, कि जौन बातें मैं तुम हां लिखत आंव, बे पिरभु के हुकम आंय।
फिन हम समजदारों में ज्ञान की बातें सोई सुनात आंय: परन्त जौ ज्ञान न तो ई संसार कौ, और न ही हाकमन कौ आय जौन नास होबेवारे आंय।
भईया हरौ, कोऊ मान्स कोई गलती में पकड़ो जाए, तो तुम जौन आत्मिक आव, तो नरमाई से ऐसे हां संभालो, और अपने हां चौकन्ने राखो कि गिर न जाओ।
परन्त जैसे दूध पियत बच्चा परमेसुर की बातें नईं समझत कि का अच्छो आय, कायसे बो अबै हल्को बच्चा आय।
हे लड़कावारे, मैं तुम हां ईसे लिखत आंव, कायसे उनके नाओं से तुमाए पापन की क्षिमा भई।