मैं चाहत आंव, कि तुम सबरे दूसरी भाषाओं में बातें करो, परन्त और अधक जौ चाहत आंव कि अगमवानी करो: कायसे कि दूसरी भाषा बोलबेवारो समाज की बढ़ती के लाने अनुवाद न करे तो अगमवानी कैबेवारो ऊसे बढ़ के आय।
ई लाने हे भईया हरौ, जदि मैं तुमाए ऐंगर आके दूसरी भाषा में बात करों, और बुद्धमानी, या ज्ञान समज, या अगमवानी, या उपदेस की बातें तुम से न कओं, तो तुम हां मो सें का फायदा हुईये?