12 अब हम हां ऐना में धुंधलो सौ दिखाई देत आय; परन्त ऊ बेरा आमूं सामूं हेर हैं, अबै तो मोरो ज्ञान अधूरो आय, परन्त ऊ बेरा भली भांत चीन्ह हों, जैसो मैं चीनो गओ आंव।
जब मैं हलको बच्चा हतो, तो मैं हलके बच्चा घांई बोलत हतो, बच्चन के जैसो हिया हतो, बच्चन के जैसी समज हती; परन्त जब सियानो हो गओ, तो बच्चन की बातें छोड़ दईं।
प्यारे भईया हरौ, अबै तो हम परमेसुर के लड़का बिटिया कहात आंय, और अबै जौ पता नईंयां, कि हम और का हुईयें! इतनो पता आय, कि जब बे फिन के आहें तो हम सोई उन घांई हो जै हैं, और उन हां उनके सांचे रूप में तक हैं।