जब मैं हलको बच्चा हतो, तो मैं हलके बच्चा घांई बोलत हतो, बच्चन के जैसो हिया हतो, बच्चन के जैसी समज हती; परन्त जब सियानो हो गओ, तो बच्चन की बातें छोड़ दईं।
अब हम हां ऐना में धुंधलो सौ दिखाई देत आय; परन्त ऊ बेरा आमूं सामूं हेर हैं, अबै तो मोरो ज्ञान अधूरो आय, परन्त ऊ बेरा भली भांत चीन्ह हों, जैसो मैं चीनो गओ आंव।