हे भईया हरौ, मैं नईं चाहत, कि तुम ई बात से अनजान रओ, कि मैंने तुम लौ बेर बेर आबो चाहो, कि जैसो मोय दूसरी जातवारन में फल मिलो, ऊं सई तुम में सोई मिले, पर अबै लौ रुको रओ।
भईया हरौ, हम नईं चाहत कि तुम हमाए उन दुखों हां न जानो, जौन आसिया में हमने भुकते, कि हम ऐसे दबे चपे हते, जौन हमाए सैबे से बायरें हतो, ऐसो लगत हतो कि जान से जै हैं।