अपने अधरम कौ फल उनईं हां मिल है, उन हां दिन दुपारी सुख विलास करबो साजो लगत आय; बे कलंक और दागी आंय, जब बे तुमाए संग्गै खात पियत आंय, तब अपनी कुदाऊं से प्रेम भोज करके भोग विलास करत आंय।
जे तुमाई प्रेम सभा में तुमाए संग्गै खात पियत आंय, और जैसे समुन्दर में चट्टान दबी रैत आय, ऊंसई अपने पेट के लाने कमाई करबेवारे रखनवारे आंय; जौन मानो बिना जल के बादरे घांई आंय, जिन हां बैहर उड़ा देत; और पतझड़ में जैसो पेड़ो हो जात, जैसे मर गओ होबै, और बे ऐसे आंय जैसे जड़ से पट गए होबें।