पर मैं तोरे आंगू जौ मान लेत आंव, की जी चाल हां जे बुरई चाल कहत आंय, ओई के अनसार मैं अपने पुरखन के परमेसुर कौ काज करत आंव: और जौन बातें रीत के अनसार आंय मानत हों, और जौन कछु आगमवक्तन के शास्त्रन में लिखी आंय, उन सब हां मानत हों।
कायसे बे मोरे बारे में बिलात पेंला से जानत आंय, की मैंने अपने धरम के सब से कट्टर सोच के अनसार फरीसी होकें जीयत रओ, अगर बे चाहें तो ई बात की गवाह भी दे सकत आंय।
बे हम में से निकले हते परन्त सांचई हम में के नईं हते; कायसे हमाए बीच के होते, तो हमाए संग्गै रैते, उन के निकल जाबे से पता पड़त आय कि बे हमाए बीच के न हते।